- जैव-सूचना विज्ञान संसाधन और अनुप्रयोग सुविधा (बीआरएएफ) की स्थापना प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक), पुणे में की गई है। वर्तमान में इस केंद्र द्वारा टेराफ्लॉप कंप्यूटिंग पावर, स्मिथ वाटरमैन, ब्लास्ट, क्लूस्टल डब्ल्यू, अंबर आदि जैसे सूचना विज्ञान अनुप्रयोगों के साथ 10 Mbps बैंडविड्थ क्षमता के साथ टेराबाइट स्टोरेज सहित डेटाबेस और सॉफ्टवेयर सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
- बेहतर संरचना पूर्वानुमान को सुकर बनाने के लिए प्रोटीन और आरएनए के लिए जैव सूचना विज्ञान और अनुप्रयुक्त जैव प्रौद्योगिकी (आईबीएबी), बैंगलोर ने बेहतर क्रमिक संरेखण अल्गोरिदम विकसित की है। परियोजना से रिपोर्ट प्राप्त हुई है कि बहुत से क्रमिक संरेखण के लिए अल्गोरिदम का विकास और प्रकाशन जारी है।
- आईआईटी, दिल्ली ने एक वेब-समर्थ प्रोटीन ढांचा पूर्वानुमान सॉफ्टवेयर विकसित किया है। प्रोटीनढांचों के पूर्वानुमान के लिए एक वेब र्समथ भागीरथ नामक सॉफ्टवेयर अब प्रयोक्ता समुदायों के लिए मुफ्त में उपलब्ध हैं। www.scfbio-iitd.res.in. देखें (बाह्य वेबसाईट जो एक नई विंडो में खुलती है)। सीजी-आरईएक्स: केओज गेम थ्योरी बेस्ट ओपन सोर्स टूल के ओस गेम थ्योरी पर आधारित एक मुक्त स्रोत टूल नामक परियोजना जैव सूचना विज्ञान केंद्र, केरल विश्वविद्यालय, केरल में चल रही है। परियोजना का उद्देश्य एक अद्वितीय और विशेषज्ञ जैव क्रम विजुअलाइजेशन टूल –केओस गेम रिप्रेजेंटेशन एक्सप्लोरर (सी-जीआरईएक्स) विकसित करना है। इस टूल में जीव वैज्ञानिक क्रम देखने के लिए केओस गेम थ्योरी का इस्तेमाल किया जाता है और फिर उसका विश्लेषण किया जाता है। इस प्रकार यह जेनोमिक और प्रोटियोमिक डेटा हैंडल करने के लिए एक नया तरीका प्रदान करता है। यह टूल एक मुक्त स्रोत उत्पाद के रूप में इंटरनेट में उपलब्ध कराया जाना है। सॉफ्टवेयर का विकास पहले ही कर लिया गया है और एक मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर के रूप में बीआरएएफ, पुणे में होस्ट किया गया है।
- आईबीएबी, बैंगलोर ने मानव जाति और अन्य स्तनधारी जेनोम से पुरूष प्रधान पुनर्रूत्पादक प्रणाली के जीन विशेष की अभिव्यक्ति के पैटर्न का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है। यह सॉफ्टवेयर कांट्रासेप्शन और इनफर्टिलिटी के उपचार हेतु अनुसंधान को सुकर बनाएगा। परियोजना के अंतर्गत स्तनधारी जीन अभिव्यक्ति डेटाबेस का एक नमूना विकसित किया गया है, जिसे मुक्त स्रोत सॉफ्टवेयर के रूप में बीआरएएफ-सीडेक, पुणे में होस्ट किया गया है।
- नेशनल बायोटेक्निकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई), लखनऊ ने आरईटी (रेअर, एंडेमिक और थ्रिटेंड) प्रजातियों और वेराइटियों की पहचान और डिजिटाइजेशन के लिए एक वेब आधारित सॉफ्टवेयर टूल विकसित किया।
- जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर ने प्रोटीन में लीगेंड- बीडिंग साइटों की पहचान के लिए एक अद्वितीय कैविटी डिटेक्शन टूल विकसित किया। परियोजना का उद्देश्य भौतिक, रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर संभावित कैविटी के बीच अंतर का पता लगाने और उनकी क्षमताओं तथा सीमाओं का पता लगाने के लिए उपलब्ध मौजूदा टूलों की समीक्षा हेतु इस टूल की दक्षता का मापन करना है। प्रोटीन के लीगेंड बाइडिंग पॉकेट की पहचान और गुणधर्म निर्धारण का कार्य पूरा हो गया है।
- परियोजना का उद्देश्य माइक्रो बॉयल हाइड्रोजन उत्पादन के प्रसंस्करण और उत्पादकता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण हाइड्रोजन उत्पादन पाथवे तथा हाइड्रोजन उत्पन्न करने वाले बैक्टिरियल जेनोम में संभावित ओपन रिडिंग फ्रेम (ओआरएफ) की पहचान करना है। एयू-केबीसी शोध केंद्र, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई में शुरू किए गए परियोजना के परिणामस्वरूप इको-एमपी (जेनोम स्केल मेटाबोलिक पाथवे डेटाबेस फॉर इकोली) और आरईसी-डीबी (रि-एनोटेटेड इकोली डेटाबेस) के डेटाबेस तैयार किए गए हैं, जिन्हें बीआरएएफ सुविधा, सी-डैक पर होस्ट किया गया है।
- तीन महत्वपूर्ण आणविक लक्ष्यों-डब्ल्यू डब्ल्यूपी1, स्टैट3 और स्टैट5, जो व्यापक रेंज के ट्यूमर और ल्यूकेमिया उत्पन्न करते हैं, की तुलना में छोटे आणविक इन्हीबिटर की पहचान के लिए राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, तिरूवनंतपुरम में एक परियोजना शुरू की गई है।
- एटीपी संश्लेषण एक मेंब्रेन एंजाइम है, जो बायोलॉजिकल एनर्जी मेटाबोलिजम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जेएनयू, नई दिल्ली एफओ-एफ1 एटीपी सिंथेज के प्रोटीन पंपिंग पाथवे पर एक परियोजना कार्यान्वित कर रहा है। इस परियेाजना के कई उद्देश्य हैं। इसके उद्देश्यों में एटीपी सिंथेस तंत्र को समझना, प्रोटीन एटी पेस अथवा प्रोटीन पंप की जांच, प्रोटॉन संचलन के इलेक्ट्रोस्टैटिक ग्रैडिएंट के बारे में जानकारी देना, प्रकार्यात्मक प्रोटीन के ऑप्टिकल और ट्रांसपोर्ट तंत्र का निर्धारण करना है।
- विभिन्न प्रोटीन समूहों, जिसमें डीएनए रिपेअर करनेवाले प्रोटीन समूह शामिल हैं, में प्रोटीन-प्रोटीन और प्रोटीन-न्यूक्लिक एसिड संपर्क में जिंक फिंगर मोटिफ भाग लेता है। जैव सूचना विज्ञान केंद्र, पांडिचेरी विश्वविद्यालय ने जिंक फिंगर (जेडएफ) मोटिफ डिजाइनों का डेटाबेस और उनके संगत 3-4 bp डीएनए मान्यता क्रम विकसित किया, मानवीय जेनोम द्वारा एन कोडित सभी ज्ञात जीन के लिए अद्वितीय और जीन विशिष्ट जेड एफ लक्ष्य स्थल के लिए जेड एफ डिजाइनिंग हेतु एक सॉफ्टवेयर टूल विकसित किया।
- आईबीएबी, बैंगलोर, जैव सूचना विज्ञान केंद्र, पुणे और पांडिचेरी विश्वविद्यालय के जैव सूचना विज्ञान में अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए उत्कृष्टता केंद्रों ने टाइप-2 मधुमेह मेलिटस के आणविक आधार को समझने, कंप्यूटर सिमुलेशन का इस्तेमाल करते हुए एमीलो आइडोजेनिक प्रोटीन का मॉडलिंग फोल्डिंग तंत्र, प्रयोक्ता द्वारा दिए गए प्रोटीन क्रम में इम्युन एपिटॉप्स की पहचान के लिए प्रिडिक्शन टूल पर अनुसंधान परियोजनाएं पूरी की हैं।
- सी-डैक, पुणे में स्थापित कंप्यूटेशनल कार्य प्रवाह वातावरण का इस्तेमाल करते हुए एक आधुनिक उच्च थ्रू पुट जेनोम विश्लेषण सुविधा की स्थापना की गई है।
- ऐसे कंप्यूटर कार्यक्रमों, जो जिंस के प्रोमोटर और अभिव्यक्ति पैटर्न का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और एमआरएनए और/अथवा विशिष्ट स्तनधारी टिश्यू में प्रोटीन का पता लगा सकते हैं, विकसित करने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम जैव सूचना विज्ञान और अनुप्रयुक्त जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (आईबीएबी), बैंगलोर में पूरा कर लिया गया है।
- अंतर अनुशासनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए राष्ट्रीय संस्थान (एनआईआईएसटी), तिरूवनंतपुरम, सीएसआईआर की एक प्रतिभागी प्रयोगशाला ने एक कार्यक्रम शुरू किया है । इसका उद्देश्य कैसर सिमुलेशन के लिए एक भावी सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म विकसित करना है।
- चेरापूंजी (डी ग्रेडेड भूमि) और मेघालय के मासिनराम की माइक्रोबॉयल (बैक्टिरियल और फंगी) विविधता का तुलनात्मक विश्लेषण जैव प्रौद्योगिकी और जैव सूचना विभाग, पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग में किया गया। माइक्रोबॉयल डेटाबेस लैंडस्केप और इकोलॉजी से मेल खाता है। माइक्रोब के इस अध्ययन में आधुनिक जैव सूचना विज्ञान टूल और वेब आधारित प्रयोगशाला प्रक्रियाएं इस्तेमाल की जाती हैं।
- कृषि की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्लांट जेनोम के एनोटेशन में सुधार के उद्देश्य से भारती दासन विश्वविद्यालय, तिरूचरापल्ली में एक परियोजना कार्यान्वित की गई है।
- मुक्त साहित्य के रूप में उपलब्ध
- व्यापक बायोलॉजिकल डेटा के विश्लेषण हेतु उच्च इंटरनेट कंप्यूटिंग इंजनों के सृजन के प्रयोजन से आईआईएससी, बैंगलोर में एक परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। करेंट साइंस इश्यू में प्रकाशित शोधपत्र और इसके लिए वेब सर्वर के विकास हेतु प्रयास जारी हैं।
- राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, तिरूवनंतपुरम में विशिष्ट उत्प्रेरक कार्यकलापों के साथ प्रकार्यात्मक दृष्टि से अलग टाइप III पॉलीकेटाइड सिंथेज (पीकेएस) प्रोटीन ढांचों का डेटाबेस विकसित किया गया। टाइप III पॉलीकेटाइड सिंथेस स्ट्रक्चरल डेटा का कंप्यूटर सिम्युलेशन (इंसिलिको विश्लेषण) इस परियेाजना की एक प्रमुख विशेषता है। वर्तमान में नैविगेशन सुविधा के साथ डेटाबेस ढांचा तैयार कर लिया गया है। टाइप III पीकेएस का पूर्वानुमान लगाने के लिए भी एक टूल तैयार किया गया है और इसकी पूर्वानुमान परिशुद्धता बेहतर करने के लिए परीक्षण जारी हैं।
- भारत भर के विभिन्न संस्थानों में कृषि अनुसंधान और फसल उत्पादकता में सुधार के लिए इसके क्रियान्वयन हेतु जैव सूचना विज्ञान अनुप्रयोगों और सुदृढ़ीकरण कौशलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु केंद्रित पहल की गई है। पौधों के आणविक गुणधर्मों का पता लगाने पर विशेष रूप से जोर दिया जा रहा है, जो बीमारियों के निदान में इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जीन एनोटेशन के लिए अलगोरिदम विकास, भारतीय आईपीआर व्हिट जेनोटाईप आदि का एक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। प्रतिभागी संस्थानों में एस डी कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात, सेंटर प्लांटेशन क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट कासरगोर, केरल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़, असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहट और गेहूं अनुसंधान निदेशालय, करनाल, हरियाणा शामिल हैं।
- फार्मा कोफोरस की डिजाइन तैयार करने और ज्ञात एंटी मलेरिअल औषधियों की पहचान करने तथा संभावित औषधीय अणुओं की सफलता दर में सुधार करने के लिए प्रोटीन लिगेंड संपर्क की नैपिंग के प्रयोजन से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में एक परियेाजना पूरी की गई है।
- प्रोटीन संपर्क के एक सहायक द्वितीयक डेटाबेस के साथ हब प्रोटीन का पता लगाने के लिए एक सर्वर विकसित करने हेतु एक परियोजना शुरू की गई है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करते हुए सब सेल्यूलर स्थानीकरण का पता लगाने के प्रयोजन से एक परियोजना पूरी की गई है।
- भरतियार विश्वविद्यालय, कोयंबटूर ने प्रोटीन किनियासेस की यथा संभव सूचना एकत्र करने, जीन के साथ इसके संबंधों और डीआईपी (डेटाबेस ऑफ इंटरैक्टिंग प्रोटीन) के साथ प्राप्त की गई सूचना के मिश्रण, केईडीडी, जैनबैंक आदि से ऐसी सूचना प्राप्त करने के लिए एक कंप्यूटेशनल टेक्स्ट माइनिंग और डेटा बेअर हाउसिंग प्रौद्योगिकी विकसित की।
- आईआईटी गुवाहाटी ने विशेष रूप से पौधों पर आधारित बार कोड का इस्तेमाल करते हुए बार कोड डेटा जेनरेट करने और असेंबली तथा जिंजर जर्मप्लाज्म का पता लगाने के लिए एक व्यवस्थित जर्म प्लाज्म संग्रहण टूल का विकास किया। जर्म प्लाज्म संग्रहण, डीएनए आइसोलेशन और संगणना तथा पीसीआर विश्लेषण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास किए गए हैं।
- आईआईटी गुवाहाटी ने लिशमैनिया पारासाइट के कारण मधुमेह के एंजाइम का पूर्वानुमान लगाने और फिर ढांचागत विश्लेषण तथा स्तनधारी एंजाइमों के साथ मॉडल एंजाइम ढांचों की तुलना हेतु एक ढांचा तैयार किया।
- चाय अनुसंधान एसोसिएशन, जोरहट, असम ने बीएसी (बैक्टिरिअल आर्टिफिसिअल क्रोमोजोम) पुस्तकालय और प्रबंधन, जर्मप्लाज्म और मैपिंग जनसंख्या का इस्तेमाल करते हुए चाय की भौतिक मैपिंग के लिए टूल विकसित किया। चाय के एक उच्च घनत्व वाले ट्रांसक्रिप्ट मैप का भी निर्माण किया जिसे लक्षित सूची में शामिल किया गया है।
- पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न स्थानों की माइक्रोबॉयल विविधता पर पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, शिलांग द्वारा एक सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है।
- पूर्वोत्तर भारत में खाए जाने वाले जानवरों के रूप में प्रयुक्त स्तनधारी पशुओं और जानवरों में पैरासाइट की विविधता का पता लगाने और पैराइसाइटोलॉजी से संबंधित डेटाबेस तैयार करने के लिए एक एकीकृत वेब आधारित पहल शुरू की गई है।